फलस्तीन ग़ज़ा में अब भूख से जंग लड़ रहे हैं लोग, 5 लाख लोगों को भुखमरी से

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ग़ज़ा में चारों तरफ तबाही है हर दिन इसराइल के हमलों में सैकड़ों लोग मारे जाते हैं घायल होते हैं और अब ग़ज़ा के लोग भूख से जंग लड़ रहे हैं.

इसराइल ने ग़ज़ा में आने वाली मदद को 2 मार्च से पूरी तरह नाकाबंदी कर दी थी. इसके दो सप्ताह बाद उसने हमास के साथ दो महीने के संघर्ष विराम को खत्म कर ग़ज़ा में सैन्य हमले शुरू कर दिए.

इसराइल ने कहा है कि उसने ये कदम ग़ज़ा में अभी भी हमास की कैद में रखे गए 58 बंधकों की रिहाई के लिए उठाया है. माना जा रहा है कि इन बंधकों में से सिर्फ 23 लोग ही जीवित हैं.

19 मई को इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने एक व्यापक हमले को हरी झंडी देते हुए कहा कि वो सेना को ‘ग़ज़ा के सभी इलाकों को नियंत्रण’ में लेते हुए देखना चाहेंगे.

कहा जा रहा है कि नेतन्याहू की इस योजना में उत्तरी ग़ज़ा को पूरी तरह नागरिकों से खाली करा कर उन्हें जबरदस्ती दक्षिणी ग़ज़ा में विस्थापित कर देना शामिल है.

हालांकि अमेरिका पर सहयोगी देशों के दबाव के बाद नेतन्याहू ने कहा है कि उनका देश ग़ज़ा में ‘बुनियादी’ मात्रा में भोजन ले जाने की अनुमति देगा ताकि वहां अकाल की स्थिति पैदा न हो.

इसराइली अधिकारियों ने कहा है कि इसके बाद से उन्होंने आटें, बेबी फूड्स और मेडिकल के सामान समेत दूसरी चीजों के 665 ट्रकों के ग़ज़ा में आने की अनुमति दी है.

संयुक्त राष्ट्र के वर्ल्ड फूड प्रोग्राम के प्रमुख में रविवार को चेतावनी दी थी कि ग़ज़ा में भयावह भूख, बुनियादी भोजन सामग्री के अभाव और आसमान छूती कीमतों के बीच ये मदद ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ के बराबर है.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, आने वाले महीनों में ग़ज़ा में लगभग 5 लाख लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ेगा.

7 अक्तूबर 2023 को हमास ने सीमा पार कर इसराइल पर हमला किया था. इस हमलें में 1200 सौ लोगों की मौत हो गई थी और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था.

इसके बाद इसराइल ने ग़ज़ा में हमले शुरू कर दिए थे. हमास संचालित सवास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक इन हमलों में ग़ज़ा में 53,997 लोग मारे जा चुके हैं. इनमें वो 3,822 लोग भी शामिल हैं जो 10 सप्ताह पहले युद्धविराम के बाद इसराइल की ओर से दोबारा हमले के शिकार हुए हैं.

कुछ दिन पहले ही एक रिपोर्ट आया था कि ग़ज़ा में 14000 बच्चे भुखमरी के कारण से मार सकते हैं. हालांकि ग़ज़ा में भुखमरी की हालत अभी भी बहुत ज्यादा है, ग़ज़ा वासी हमेशा डर के साए में जीते हैं.


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